top of page

Champai Soren: झारखंड के नए मुख्यमंत्री का परिचय - कौन हैं चंपई सोरेन?

Champai Soren: झारखंड के नए मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को लोग 'झारखंड टाइगर' के नाम से भी जानते हैं। चंपाई सोरेन की राजनीतिक यात्रा काफी लंबी है। वह झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता हैं और सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से छह बार विधायक रह चुके हैं। जानें उनके राजनीतिक सफर की कहानी और उनके कार्यों का असर।

Champai Soren Biography in Hindi:चंपाई सोरेन का राजनीतिक सफर

Champai Soren Biography in Hindi:झारखंड के नए मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को लोग 'झारखंड टाइगर' के नाम से भी जानते हैं। चंपाई सोरेन की राजनीतिक यात्रा काफी लंबी है। वह झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता हैं और सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से छह बार विधायक रह चुके हैं।


Who is Champai Soren: झारखंड सूबे के नए मुख्यमंत्री

2019 में फिर से हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनने पर चंपई सोरेन.के मुख्यमंत्री बनने पर चंपई सोरेन को परिवहन, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री रखा गया है. चंपई झामुमो के उपाध्यक्ष भी हैं.


झारखंड में सियासी उलटफेर: हेमंत सोरेन गिरफ्तार, चंपई सोरेन बने नए मुख्यमंत्री

झारखंड में बड़ा सियासी घटनाक्रम देखने को मिला है। भ्रष्टाचार मामले में  ED की जांच के दायरे में आए पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 2 फरवरी 2024 को गिरफ्तार कर लिया गया था। हेमंत सोरेन ने 31 Jan 2024 को ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के विधायकों ने चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुन लिया थाझारखंड टाइगर नाम से मशहूर चंपई सोरेन ने 2 फरवरी 2024 को राज्य के अगले मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।


कौन हैं चंपई सोरेन? champai soren kaun hai

चंपई सोरेन सरायकेला-खरसावां जिले स्थित जिलिंगगोड़ा गांव के रहने वाले हैं. उनका पिता का नाम सिमल सोरेन है, उनका पिता का नाम सिमल सोरेन है, जो कि खेती किसानी किया करते थे. चंपई चार बच्चों में बड़े बेटे हैं. 10वीं क्लास तक सरकारी स्कूल से चंपई ने पढ़ाई लिखाई की. इस बीच उनका विवाह कम उम्र में ही मानको से कर दिया गया. शादी के बाद चंपई के 4 बेटे और तीन बेटियां हुईं.  


चंपाई सोरेन का राजनीतिक सफर बिहार से अलग झारखंड राज्य के आंदोलन से शुरू हुआ था। चंपाई सोरेन ने 1991 में पहली बार उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद वह झामुमो में शामिल हो गए और लगातार सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने जाते रहे हैं।


2005 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व में गठबंधन सरकार बनी तो चंपाई सोरेन को आदिवासी कल्याण मंत्री बनाया गया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने आदिवासी कल्याण के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं लागू कीं।


2014 में झामुमो ने अकेले चुनाव लड़ा और चंपाई सोरेन को सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से फिर से विधायक चुना गया। इस बार उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया, बल्कि वे झामुमो के उपाध्यक्ष बने।





bottom of page