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जानिए क्‍यों आता है भूकंप और कैसे मापी जाती है इसकी तीव्रता?

Earthquake : भूकंप एक प्राकृतिक आपदा है, ये तो हम सभी जानते हैं. लेकिन क्‍या आपके मन में ये सवाल नहीं उठता कि आखिर भूकंप क्‍यों आता है, इसकी तीव्रता कैसे मापी जाती है और इसके केंद्र का कैसे पता चलता है? आइए बताते हैं.

भूकंप क्‍यों आता है? (why earthquakes happen?)


भूकंप आने की कई वजह हो सकती हैं. लेकिन आज के समय में भूकंप आने का बड़ा कारण इंसानी करतूत है. पहाड़ों को काटा जा रहा है, धरती की गहराई से खुदाई करके तेल निकाला जाता है, पेड़ों की संख्‍या कम होती जा रही है और उनकी जगह ऊंची इमारतें तैयार हो रही हैं. इन सब से प्रकृति का संतुलन बिगड़ता है, जो समय-समय पर भूकंप की वजह बनता है.


वैज्ञानिक रूप से जानें कैसे आता है भूकंप? (Scientific reason of earthquakes?)


भूकंप कैसे और क्‍यों आता है इसे वैज्ञानिक रूप से समझने के लिए हमें पृथ्‍वी की संरचना को समझना होगा. दरअसल ये पृथ्‍वी टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है. ये प्लेट्स जो लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं. बार-बार टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्‍यादा दबाव पड़ने पर ये प्‍लेट्स टूटने लगती हैं. ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्‍ता खोजती है और इस डिस्‍टर्बेंस के बाद भूकंप आता है.




क्‍या होता है भूकंप का केंद्र? (What is the epicenter of an earthquake?)


भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है. इस स्‍थान पर भूकंप का असर सबसे ज्‍यादा होता है और सबसे तेज कंपन होता है. कंपन की आवृत्ति जैसे-जैसे दूर होती जाती हैं, वैसे-वैसे इसका प्रभाव कम होता जाता है. लेकिन अगर रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है. ये इस बात का निर्भर करता है कि भूकंप की आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में है. अगर कंपन की आवृत्ति ऊपर की ओर है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा.


कैसे मापी जाती है तीव्रता? (How is intensity measured?)


भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से की जाती है. रिक्‍टर स्‍केल भूकंप की तरंगों की तीव्रता मापने का एक गणितीय पैमाना होता है, इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है. रिक्टर स्केल पर भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है. ये स्‍केल भूकंप के दौरान धरती के भीतर से निकली ऊर्जा के आधार पर तीव्रता को मापता है.



किसी भूकंप के आने के बाद क्या किया जाए

  • शांत रहें, रेडियो/टी.वी. को चालू करें तथा इस पर आने वाली हिदायतों का पालन करें।

  • समुद्र-तट तथा नदी के निचले किनारों से दूर रहें। बड़ी लहरें आपको बहा सकती हैं।

  • भूकंप के बाद आने वाले झटकों के प्रति तैयार रहें।

  • पानी, गैस तथा बिजली के स्विचों को बंद कर दें।

  • सिगरेट न पिएं तथा माचिस की तीली को न जलाएं अथवा किसी सिगरेट लाइटर का उपयोग न करें। स्विच को ऑन न करें क्योंकि गैस लीकेज अथवा षार्ट-सर्किट हो सकता है। टॉर्च का उपयोग करें।

  • यदि कहीं आग लगी हो तो इसे बुझाने का प्रयास करें। यदि आप इसे बुझा न सकें तो फायर ब्रिगेड को बुलाएं।

  • यदि लोगों को गंभीर चोट लगी हो तो उन्हें तब तक न हिलाएं जब तक कि उन्हें कोई खतरा न हो।

  • उस ज्वलनषील पदार्थ, जो जमीन पर बिखर गया हो, (अल्कोहल, पेंट आदि) को तुरंत साफ कर दें।

  • यदि आपको पता चल जाए कि लोग जल गए हैं तो बचाव टीमों को बुलाएं। हड़बड़ी न मचाएं तथा चोटग्रस्त लोगों अथवा अपनी खुद की हालत को और खराब न बनाए।

  • ऐसे स्थानों से बचें जहां पर बिजली की तारें टूटी पड़ी हों तथा उनके संपर्क में आने वाली किसी धातु की वस्तु को न छुएं।

  • बिना जांच किए छलनी, फिल्टर, किसी मामूली साफ कपड़े से साफ किए बिना खुले बर्तन से पानी न पिएं।

  • यदि आपका घर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया हो तो आपको इसको छोड़ना पड़ेगा। जिसमें पानी के बर्तनों, खाना तथा सामान्य तथा विषेश दवाइयों (दिल की बीमारी, डायबिटीज आदि के मरीजों हेतु) को इकट्ठा कर लें।

  • बुरी तरह क्षतिग्रस्त बिल्डिंगों के अंदर दोबारा न घुसें तथा टूटे-फूटे ढांचों के पास न जाएं।

आपातकालीन किट

  • बैटरी चालित टॉर्च अतिरिक्त बैटरियां

  • बैटरी चालित रेडियो

  • प्राथमिक सहायता थैला (किट) तथा मैनुअल

  • आपातकालीन खाद्य सामग्री (ड्राई आइटम्स) तथा पीने का पानी (पैक्ड तथा सीलबंद)

  • एक वाटरप्रूफ कंटेनर में मोमबत्तियां तथा माचिसें

  • चाकू

  • क्लोरीन की गोलियां तथा पाउडर युक्त वाटर प्यूरिफायर

  • केन ओपनर

  • अनिवार्य दवाइयां

  • नकदी, आधार कार्ड तथा क्रेडिट कार्ड

  • मोटी रस्सी तथा डोरियां

  • मजबूत जूते


Source:ndma.gov.in

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