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Krishna

Banana Farming:केले की खेती की संपूर्ण जानकारी

केला की खेती (Farming of banana)

केले की रोपाई के लिए जून-जुलाई सटीक समय है। सेहतमंद पौधों की रोपाई के लिए किसानों को पहले से तैयारी करनी चाहिए। जैसे गड्ढ़ों को जून में ही खोदकर उसमें कंपोस्ट खाद (सड़ी गोबर वाली खाद) भर दें।


केला,आम के बाद भारत की दूसरी महत्तवपूर्ण फल की फसल है। केला दिल की बीमारियों के खतरे को कम करने में सहायक है। यह सभी वर्गों के लोगों का पसंदीदा फल है इसके स्वाद, पोषक तत्व और चिकित्सक गुणों के कारण यह लगभग पूरे वर्ष उपलब्ध रहता है। यह कार्बोहाइड्रेट और विटामिन, विशेष कर विटामिन बी का उच्च स्त्रोत है।



केले से विभिन्न तरह के उत्पाद जैसे चिप्स, केला प्यूरी, जैम, जैली, जूस आदि बनाये जाते हैं। केले के फाइबर से बैग, बर्तन और वॉली हैंगर जैसे उत्पाद बनाये जाते हैं। भारत में केला, उत्पादन में पहले स्थान पर और फलों के क्षेत्र में तीसरे नंबर पर है। भारत के अंदर महाराष्ट्र राज्य में केले की सर्वोच्च उत्पादकता है। केले का उत्पादन करने वाले अन्य राज्य जैसे कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश और असम  है।

केले की प्रसिद्ध किस्में (famous varieties of banana)


  • Grand Naine: केला की यह किस्म 2008 में जारी की गई है और यह एशिया में उगाने के लिए उपयुक्त किस्म है। केला इस किस्म मे औसतन 25-30 किलो गुच्छे निकलते हैं।

  • Red Banana

  • Safed Velachi

  • Basarai

  • Rasthali

  • Dwarf Cavendish

  • Robusta, Poovan

  • Nendran

  • Ardhapuri

  • Nyali


जलवायु-भूमि (climate and land)


केला की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु गर्मतर एवं समजलवायु उत्तम होती है अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में केले की खेती अच्छी रहती है। जीवंशयुक्त दोमट, मटियार दोमट भूमि, जिससे जल निकास अच्छा हो, वाली मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है।इसके लिए भूमि का पी एच मान लगभग 6-7.5होना चाहिए



खेती की तैयारी(preparation for cultivation)


समतल खेत को लगभग चार-पांच बार गहरी जुताई करके पाटा लगा कर भुरभुरा बना लेना चाहिए। ऐसा करने के बाद समतल खेत में लाइनों में गड्ढे तैयार करके रोपाई की जाती है। केले की रोपाई के लिए खेत की तैयारी के बाद लाइनों में गड्ढे 1.5 मीटर लम्बे, 1.5 मीटर चौड़े गहरा खोद कर छोड़ दें, जिससे धूप लग जाए


केले की खेती के लिए बीज की मात्रा (Quantity of seed for Banana Cultivation)


यदि पौधों के बीच 1.8x1.5 मीटर दूरी रखी जाए तो एक एकड़ में करीब 1452 पौधे लगते हैं. वहीं यदि पौधों के बीच 2 मीटर x 2.5 मीटर की दूरी रखी जाए तो एक एकड़ में करीब 800 पौधे लगेंगे


केले की खेती के लिए उर्वरक (Fertilizer for Banana Farming)


केला की अच्छी उपज के लिए यूरिया 450 ग्राम, म्यूरेट ऑफ पोटाश 350 ग्राम लेकर इसे 5 भागों में बांटकर लें जिसे प्रति पौधे में पांच बार डाले. पहली डोज फरवरी, दूसरा मार्च, तीसरा जून, चौथा जुलाई और पांचवा अगस्त में डालना चाहिए.


रोपाई हेतु गढढे की तैयारी(Preparation of the pit for planting)


खेत की तैयारी के बाद लाइनों में गढढे किस्मो के आधार पर बनाए जाते है जैसे हरी छाल के लिए 1.5 मीटर लम्बा 1.5 मीटर चौड़ा के तथा सब्जी के लिए 2-3 मीटर की दूरी पर 50 सेंटीमीटर लम्बा 50 सेंटीमीटर चौड़ा 50 सेंटीमीटर गहरा गढढे मई के माह में खोदकर डाल दिये जाते है 15-20 दिन खुला छोड़ दिया जाता है जिससे धूप आदि अच्छी तरह लग जाए इसके बाद 20-25 किग्रा गोबर की खाद 50 ई.सी. क्लोरोपाइरीफास 3 मिली० एवं 5 लीटर पानी तथा आवश्यकतानुसार ऊपर की मिट्टी के साथ मिलाकर गढढे को भर देना चाहिए


फासला(distance)


उत्तरी भारत में तटीय क्षेत्रों में, जहां उच्च नमी और तापमान जैसे 5-7 डिगरी सेल्सियस से कम तापमान हो, वहां पर रोपाई के लिए पौधे से पौधे के बीच का फासला लगभाग 1.8मीटरx 1.8 मीटर से कम नहीं होना चाहिए।


बीज की गहराई(seed depth)


केले की जड़ों को लगभग 45x 45x45 सैं.मी. या 60x60x60 सैं.मी. आकार के गड्ढों में रोपित करें। गड्ढों को धूप में खुला छोड़ें, जिससे हानिकारक कीट मर जायें। गड्ढों को 10 किलो रूड़ी की खाद या गला हुआ गोबर, नीम केक 250 ग्राम और कार्बोफ्युरॉन 20 ग्राम से भरें। जड़ों को गड्ढें के मध्य में रोपित करे और मिट्टी के आसपास अच्छी तरह से दबायें। गहरी रोपाई ना करें।


केले की खेती के लिए सिंचाई (Irrigation for Banana Farming)


केले की ज्यादा पैदावार के लिए 70-75 सिंचाइयों की जरुरत पड़ती है. ठंड के दिनों में 7-8 दिनों और गर्मियों में 4-5 दिनों के अंतर पर सिंचाई करना चाहिए. बता दें कि केले की फसल से अच्छी पैदावार के लिए नियमित सिंचाई बेहद आवश्यक होती है.



बीज की रोपाई का समय(Time of seed planting)


पुत्तियो का रोपण 15-30 जून तक किया जाता है इन पुत्तियो की पत्तियां काटकर रोपाई तैयार गढ़ढो में करनी चाहिए रोपाई के बाद पानी लगाना आवश्यक हैI


केले की खेती के लिए सिंचाई (Irrigation for Banana Farming)


केले की ज्यादा पैदावार के लिए लगभग 70-75 सिंचाइयों की जरुरत होती है. ठंड के दिनों में 7-8 दिनों और गर्मियों में 4-5 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए. बता दें कि केले की फसल से अच्छी पैदावार के लिए नियमित सिंचाई बेहद आवश्यक होती है


निराई-गुड़ाई(Weeding hoeing)


केले की फसल के खेत को स्वच्छ रखने के लिए आवश्यकतानुसार समय-समय पर निराई गुड़ाई करते रहना चाहिए जिससे पौधों को हवा एवं धूप आदि अच्छी तरह से मिलता रहता है जिससे फसल अच्छी तरह से चलती है और फल अच्छे आते हैं।


खेती में मलिचग(mulching in agriculture)


केले के खेत में प्रयाप्त नमी बनी रहनी चाहिए, इसलिए केले के थाले में पुवाल अथवा गन्ने की पत्ती की 8 से 10 सेमी० मोटी पर्त बिछा देनी चाहिए इससे सिचाई कम करनी पड़ती है खरपतवार भी कम या नहीं उगते है। भूमि की उर्वरता शक्ति बढ़ जाती है साथ ही साथ उपज भी बढ़ जाती है तथा फूल एवं फल एक साथ आ जाते हैं।


रोगों का नियंत्रण(control of diseases)


केले की फसल में कई रोग कवक एवं विषाणु के द्वारा लगते हैं जैसे पर्ण चित्ती या लीफ स्पॉट गुच्छा शीर्ष या बन्ची टापएन्ध्रक्नोज एवं तनागलन हर्टराट आदि लगते हैं नियंत्रण के लिए ताम्रयुक्त रसायन जैसे कापर आक्सीक्लोराइट 0.3% का छिड़काव करना चाहिए या मोनोक्रोटोफास 1.25 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी के साथ छिड़काव करना चाहिए।


कटाई(harvesting)


केले में फूल निकलने के बाद लगभग 25-30 दिन में फलियाँ निकल आती हैं पूरी फलियाँ निकलने के बाद घार के अगले भाग से नर फूल काट देना चाहिए और पूरी फलियाँ निकलने के बाद 100-140 दिन बाद फल तैयार ही जाते हैं जब फलियाँ की चारों घरियाँ तिकोनी न रहकर गोलाई लेकर पीली होने लगे तो फल पूर्ण विकसित होकर पकने लगते हैं इस दशा पर तेज धार वाले चाकू आदि के द्वारा घार को काटकर पौधे से अलग कर लेना चाहिए।


केला पकाने की विधि


केले को पकाने के लिए घार को किसी बन्द कमरे में रखकर केले की पत्तियों से ढक देते हैं एक कोने में उपले अथवा अगीठी जलाकर रख देते हैं और कमरे को मिट्टी से सील बन्द कर देते हैं यह लगभग 48 से 72 घण्टे में कमरे केला पककर तैयार हो जाता है।


केला की खेती से प्रति हेक्टेयर कितनी पैदावार होती है।


सभी तकनीकी तरीके अपना ने से की गई केले की खेती से 300 से 400 कुन्तल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त होती है।


केले खाने के फ़ायदे (Banana eating benefits)


1 केला खाने से तनाव कम होता

2 केला खाने से दिमाग ज्यादा स्फूर्ति से काम करता है

3 केला हैंगओवर उतारने के काम आता है

4 केला सुबह खाने से आप पूरा दिन अच्छा महसूस करते है

5 केला का सेवन किडनी कैंसर से बचाता है

6 केला डायाबटीज को नियंत्रित करने में सहायक

7 केला से आँखों की रोशनी बढती है


Q1.केला मे कौन कौन से पोशाक तत्व पाये जाते है?

Ans केले में थाईमिन, रिबोफ्लेविन, नियासिन, फोलिक एसिड, विटामिन A, B, B6, आयरन, कैल्शियम, मैगनिशियम, पोटैशियम जैसे तत्व पाए जाते हैं।


Q2. केले का उत्पादन किस राज्य मे सबसे अधिक होता है?

Ans भारत में केले का सबसे अधिक उत्पादन तमिलनाडु में होता है


Q3.केले के उत्पादन मे भारत का कौन सा स्थान है?

Ans भारत केले का प्रति वर्ष 29,124,000 टन उत्पादन की मात्रा के साथ दुनिया में प्रथम स्थान पर है तथा चीन 13,324,337 टन वार्षिक उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर आता है।



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