Sarso Ki Kheti:सरसों की फसल में शुरुआत में करें ये काम, मिलेगी जबरदस्त पैदावार
सरसों की फसल बोने के बाद इसकी शुरुआती देखभाल बेहद ज़रूरी होती है। क्योंकि इस दौरान फसल पर कीटों का प्रकोप होने का ख़तरा रहता है। इसलिए किसानों को चाहिए कि वे कुछ ज़रूरी काम करें जिससे वे सरसों की फसल को कीटों से बचा सकें और जबरदस्त पैदावार प्राप्त कर सकें।
सरसों की फसल में कीटों के नियंत्रण के लिए रासायनिक उपाय
सरसों की फसल में कई प्रकार के कीट लगते हैं, जिनसे फसल को काफी नुकसान पहुंचता है। इन कीटों के नियंत्रण के लिए रासायनिक उपाय भी अपनाए जा सकते हैं, लेकिन इन उपायों को अपनाते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए।
पेंटेड बग कीट का नियंत्रण
पेंटेड बग कीट सरसों की फसल का सबसे प्रमुख कीट है। यह कीट पौधों की पत्तियों, फूलों और फलों को खाता है,
जिससे फसल को काफी नुकसान पहुंचता है। पेंटेड बग कीट के नियंत्रण के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
थामोमिथेक्साम 30 एफएम, 5.0 ग्राम या इमिडाक्लोपिड 48 एफ.एस. 6.0 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचार करके बुवाई करें।
पेंटेड बग और आरा मक्खी कीट की रोकथाम के लिए क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 20-25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से सुबह या शाम के समय छिड़काव करें।
फसल में कीटों के प्रकोप की निगरानी करें और आवश्यकतानुसार छिड़काव करें।
आरा मक्खी कीट का नियंत्रण
आरा मक्खी कीट सरसों की फसल का एक अन्य प्रमुख कीट है। यह कीट पौधों की पत्तियों को खाता है, जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है।
आरामक्खी कीट के नियंत्रण के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
क्यूनालफॉस 1.5 प्रतिशत चूर्ण 20-25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से सुबह या शाम के समय छिड़काव करें।
फसल में कीटों के प्रकोप की निगरानी करें और आवश्यकतानुसार छिड़काव करें।
चेपा या माहू कीट पर नियंत्रण
माहूँ: इस कीट की शिशु एवं प्रौढ़ पीलापन लिये हुए हरे रंग के होते है। जो पौधों के कोमल तनों, पत्तियों, फूलों एव नये फलियों के रस चूसकर कमजोर कर देते है।
माहूँ मधुस्राव करते है जिस पर काली फफूँद उग आती है जिससे प्रकाश संश्लेषण में बाधा उत्पन्न होती है।
माहूँ नियंत्रण हेतु डाईमेथोएट 30 प्रतिशत ई.सी. अथवा मिथाइल-ओ-डेमेटान 25 प्रतिशत ई.सी. अथवा क्लोरोपाईरीफास 20 प्रतिशत ई.सी. की 1.0 लीटर अथवा मोनोक्रोटोफास 36 प्रतिशत एस.एल. की 500 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 600-750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। एजाडिरेक्टिन (नीम आयल) 0.15 प्रतिशत ई.सी. 2.5 ली प्रति हेक्टेयर की दर से भी प्रयोग किया जा सकता है।
अन्य कीटों का नियंत्रण
सरसों की फसल में अन्य कीटों के नियंत्रण के लिए भी रासायनिक उपाय किए जा सकते हैं। इन उपायों को अपनाते समय कृषि विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।
रासायनिक उपाय अपनाते समय सावधानियां
रासायनिक उपाय अपनाते समय निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए:
सुरक्षात्मक कपड़े पहनें।
कीटनाशक के लेबल पर दिए गए निर्देशों का पालन करें।
कीटनाशक का छिड़काव हवा की दिशा में करें।
कीटनाशक का छिड़काव शाम या सुबह के समय करें, जब कीड़े कम सक्रिय होते हैं।
जैविक उपाय
रासायनिक उपायों के अलावा, सरसों की फसल में कीटों के नियंत्रण के लिए जैविक उपाय भी अपनाए जा सकते हैं। इन उपायों में निम्नलिखित शामिल हैं:
जैविक कीटनाशक का उपयोग करें।
फसल चक्र अपनाएं।
फसल को स्वस्थ रखें।
कीटों के प्राकृतिक परभक्षियों को बढ़ावा दें।
**कीटनाशकों का सुरक्षित उपयोग**
किसान भाइयों को सलाह है कि किसी भी रासायनिक कीटनाशक का उपयोग करने से पहले इन बातों का ध्यान रखें:
- कृषि विभाग के विशेषज्ञों से दवा के बारे में पूरी जानकारी लें।
- कीटनाशक का छिड़काव किसी विशेषज्ञ की देखरेख में करें।
- दवा का छिड़काव करते समय पूरे कपड़े पहनें और मुंह ढकें।
- हाथों में दस्ताने पहनकर छिड़काव करें।
- कीटनाशकों का सही तरीके से और सुरक्षित ढंग से उपयोग करें।
- खुद और पर्यावरण की सुरक्षा का ध्यान रखें।
जानकारी स्त्रोत : कृषि विभाग वेबसाइट उत्तरप्रदेश
इन सरल तरीकों से किसान सरसों की फसल की रक्षा कर सकते हैं और अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।
मैंने इस लेख में सरसों की फसल की देखभाल एवं कीट प्रबंधन से संबंधित मुख्य बिंदुओं को कवर किया है। आशा करता हूं यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा। बताएं कि क्या मैंने इस विषय पर एक अच्छा हिंदी लेख लिखा है?
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